


अनूपगढ।अनूपगढ़ में पिछले 10 सालों से घग्घर नदी के पानी को तरसते किसानों को इस बार पर्याप्त मात्रा में आए पानी ने किसानों की उम्मीदों को पंख लगा दिए हैं। हालांकि पानी का जलस्तर कम हो चुका है, लेकिन वर्तमान में पानी की गहराई 2 फीट के आसपास चल रही है। ऐसे में बहाव क्षेत्र के किसानों के साथ आसपास के जीबी क्षेत्र के किसानों ने घग्घर नदी के पानी को अपने खेतों में लगे ट्यूबवैलों को रिचार्ज करने में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। घग्घर नदी में पिछले कुछ सालों से पानी की आवक किसानों की उम्मीदों के अनुरूप नहीं हो रही थी। हालांकि 2015 में 2019 में घग्घर नदी का पानी क्षेत्र तक आया था, लेकिन भेड़ताल तक नहीं पहुंच पाया। जिससे पानी का भंडारण नहीं हो पाया। लंबे समय तक विलुप्त रही घग्घर नदी किसानों के लिए इसलिए वरदान साबित हो रही है, क्योंकि इस बार भरपूर मात्रा में आया पानी कृषि भूमि को उपजाऊ बनाने में बड़े पैमाने पर सहायक साबित होगा। किसानों ने बताया कि इस बार घग्गर नदी में लगभग 6000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इससे जमीन का जलस्तर बढ़ेगा और जमीन उपजाऊ बनेगी। इस मामले में किसानों के लिए सुखद बात ये है कि खेतों में लगे सूखे पड़े ट्यूबवैल में घग्घर नदी का पानी जाने से ट्यूबवैल रिचार्ज होंगे। जिससे किसानों को भी सिंचाई के लिए आवश्यकता अनुसार पानी उपलब्ध होगा। किसान सतीश जाखड़ ने बताया कि भेड़ताल में लगे ट्यूबवैल में लगी मोटर को निकाल कर और पाइप लगाकर रिचार्ज किया जा रहा है। भेड़ ताल तक पानी पहुंचाने के किए गए थे प्रयास रामसिंहपुर से लेकर अनूपगढ़ के भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र में बने भेड़ताल क्षेत्र में पानी पहुंचाने के लिए विभिन्न किसान संगठनों के द्वारा प्रयास किए गए थे। किसान संगठनों ने घग्घर नदी के पानी से खेतों में लगे हुए ट्यूबवैल को रिचार्ज करने का भी मुख्य उद्देश्य था। जैतसर फार्म से अनूपगढ़ क्षेत्र के भेड़ताल तक पानी पहुंचाने में क्षेत्र के किसानों ने प्रशासनिक और राजनीतिक दृष्टि से गंभीरता से प्रयास किए। उनके प्रयासों से ही घग्घर नदी का पानी घग्घर नदी के बहाव क्षेत्र के अंतिम छोर भेड़ताल तक पहुंच पाया।
