


बीकानेर। देश भर के परिवहन कार्यालयों में दलालों-अफसरों के गठजोड़ की खबरें आम हैं। लाइंसेंस बनवाने से लेकर रजिस्ट्रेशन करवाने और वाहनों संबंधित अन्य दूसरे कार्यों के लिए आमजन की परेशानी तो जैसे उसकी किस्मत में लिखी होती है। राज्य या शहर कोई भी हो। सिर्फ शहरों के नाम बदलते हैं, लोगों की परेशानी और उन्हें पडऩे वाली आर्थिक चोट लगभग एक जैसी ही होती है। बीकानेर भी इन समस्याओं से अलहदा नहीं है। लर्निंग लाइसेंस से लेकर स्थाई लाइसेंस और अन्य दूसरे वाहन संबंधी कामों के लिए यहां भी बाकायदा परिवहन कार्यालय है। लेकिन अफसोसजनक हकीकत यही है कि दलालों की शरण में जाए बिना आमजन के काम हो नहीं पाते। कोई बहुत जीवट वाला शख्स हो, तो भागदौड़ करके भले ही लाइसेंस हासिल कर ले, लेकिन आमतौर पर लोगों को परिवहन कार्यालय के रवैये और हालात को देखते हुए थक-हार कर दलालों-ई मित्र की शरण में जाना ही पड़ता है। जहां उनकी जेब कटनी (पैसे की उगाही) तय है चारो तरफ लूट-खसोट प्रादेशिक परिवहन कार्यालय में चारो तरफ लूट-खसोट होने का आभास होता है। यहां वाहन चालकों के काम आसानी से नहीं होते। शहर से करीब 11 किलोमीटर दूर इस कार्यालय में रोजाना आना-जाना बेहद मुश्किल होता है। लिहाजा, आमजन रोज-रोज के चक्कर से बचने के लिए दलालों के जरिए काम करवाना ही ज्यादा आसान समझते हैं।
