


कोटा। बेटी का शव देखकर पिता बिलख पड़े। वे स्ट्रेचर के पास गए और शव से लिपटकर रोने लग गए। बोले- बेटी डॉक्टर बनने का सपना लेकर कोटा आई थी। अब कफन में लिपटकर जा रही है। मामला कोटा के विज्ञान नगर इलाके का है। यहां बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली मुस्कान (17) नीट की तैयारी करने के लिए आई थी। वह विज्ञान नगर में रूम लेकर किराए से रह रही थी। शुक्रवार को उसकी अचानक तबीयत खराब हुई। उसे डॉक्टरों के पास ले गए, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। को बेटी का शव लेने कोटा पहुंचे देवकांत ने बताया कि वह डेढ़ महीने पहले ही यहां आई थी। देवकांत ने कहा- गर्मी कम होने पर कोटा आकर बेटी से मिलने का प्रोग्राम था। उससे पहले ही बेटी दुनिया छोडक़र चली गई। वो ठीक थी। मौत के कारण तो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही पता लग पाएंगे। देवकांत ने कहा- शुक्रवार शाम साढ़े 5 बजे वीडियो कॉल पर बेटी से बातचीत चल रही थी। बेटी ने सांस लेने में दिक्कत होने की बात बताई थी। ये उसके आखिरी शब्द थे। थोड़ी देर में मुंह से पानी निकल गया था। बेहोश हो गई थी। देवकांत ने बताया- बेटी के दिल मे छेद था। साल 2012 में एम्स हॉस्पिटल में ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी। ऑपरेशन के दो-तीन साल बाद तक दवा चली।फिर डॉक्टर ने बेटी को नॉर्मल बताया था। इसके बाद कोई दिक्कत नहीं हुई। मुस्कान ने आगे की पढ़ाई पूरी की। उसका डॉक्टर बनने का ड्रीम था। तीन दिन पहले उसकी तबीयत बिगड़ी थी। मुस्कान की रूम पार्टनर के पेरेंट्स कोटा ही थे। वे मुस्कान को डॉक्टर के पास लेकर गए थे। डॉक्टर ने दवाई दी थी। 70 हजार में एंबुलेंस कर शव लेने कोटा आए देवकांत ने बताया- बेटी की मौत की सूचना मिलते ही शुक्रवार रात 8 बजे रवाना हुए। 1200 किमी का सफर तय करके शनिवार दोपहर 3 बजे कोटा पहुंचे। फीस रिफंड के लिए जिला कलेक्टर से गुहार लगानी पड़ी। इसके बाद कोचिंग इंस्टीट्यूट की ओर से 90 हजार की फीस रिफंड का चेक दिया। मुस्कान के पिता देवकांत बिहार में वेटरनरी डॉक्टर हैं। मुस्कान घर में इकलौती बेटी थी। उससे एक छोटा भाई भी है। खाने की व्यवस्था का ध्यान रखना जरूरी देवकांत ने कहा- कोटा एजुकेशन हब है। यहां बच्चे पढ़ाई के लिए आते हैं। उन्हें पोष्टिक खाना मिलना जरूरी है। जिन भी जगहों पर बच्चे रहते हैं। वहां संचालकों को खाने की अच्छी व्यवस्था रखनी चाहिए। जब पेरेंट्स बच्चों के साथ रहते हैं। तब तो अच्छा खाना खिलाते हैं। पेरेंट्स के जाने के बाद खाने पर ध्यान नहीं देते हैं। यहां की ये व्यवस्था खराब लगी। इंस्टीट्यूट को भी इस बारे में ध्यान रखना चाहिए। खाना सही नहीं मिलने के कारण मुस्कान को हॉस्टल से निकालकर दूसरी जगह शिफ्ट किया था। एक ढाबे से टिफिन की व्यवस्था करवाई थी। मुस्कान खुद टिफिन पैक करवाकर लाती थी। कमरे पर आकर खाना खाती थी। ये है मामला मकान मालिक योगेंद्र नागर ने बताया- मुस्कान पहले हॉस्टल में रहती थी और 20 दिन पहले उनके मकान में रहने आई थी। शुक्रवार शाम 5 बजे के करीब उसकी तबीयत बिगड़ी थी। छात्रा को अचानक उल्टियां होने लगी थी। इसके बाद उसने एक टैबलेट ली और थोड़ी देर लेट गई। लेकिन, फिर से तबीयत बिगडऩे लगी और उल्टियां शुरू हो गई। उसकी साथी स्टूडेंट ने उसे संभालने की कोशिश की तो वह गिर गई। उस वक्त उसका छोटा भाई और 4-5 स्टूडेंट्स भी आ गए थे। इसके बाद उसके डॉक्टर पिता को फोन किया था। पिता ने वीडियो कॉल करके ष्टक्कक्र दिलवाया और उसे हॉस्पिटल ले जाने को कहा। उसके पिता ने निजी हॉस्पिटल के डॉक्टर से बात की और एक पुरानी बीमारी की रिपोर्ट बताई। डॉक्टर ने चैकअप करने के बाद मुस्कान को मृत घोषित कर दिया।
