

बाड़मेर।सूर्य प्रकाश ने पहले प्रयास में की क्लियर की नीट पिता और दादा मानसिक रोगी थे, ऐसे में रोजाना हॉस्पिटल के चक्कर लगते, कभी परेशान हो जाता तो कभी मायूसी होती, ईश्वर जो भी करता है कुछ अच्छा ही सोचकर करता है। इन हालातों से लड़ने के लिए वो मुझे तैयार कर रहा था। इसी भाग-दौड़ से परेशान हुआ तो ठान लिया कि बड़ा होकर डॉक्टर ही बनना है। हां, आर्थिक स्थितियों ने चाहे साथ ना भी दिया लेकिन पढाई ही एक जरिया है जो इंसान को कामयाब बनाती है।ये कहानी है बाड़मेर जिले के नोखड़ा गांव के रहने वाले 19 साल के सूर्यप्रकाश की… जिसने नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) में 670 नंबर हासिल कर AIR 2898 और ओबीसी में 892 रैक हासिल की है।हालातों को देखा तो ठान लिया डॉक्टर बनूंगा अपनी कहानी बताते हुए सूर्य प्रकाश कहते हैं कि- मेरे पिता की मानसिक स्थिति 15 सालों से ठीक नहीं है। ऐसे में, हर दूसरे माह हमें इलाज के लिए जोधपुर जाना पड़ता है। पिता की यह स्थिति देखकर मेरे दादा का भी साल 2019 में माइंड फेल हो गया। पिताजी के इलाज के दौरान मुझे कई बार जोधपुर के हॉस्पिटलों में चक्कर लगाने पड़ते थे। मैंने वहां के हालात बेहद करीब से देखे हैं। तब वहां की स्थिति देखकर मन ही मन ठान लिया कि मैं डॉक्टर बनूंगा और मेरे पिता और उन जैसे गरीब लोगों की सेवा करूंगा।फिफ्टी विलेजर्स संस्थान में नीट क्लियर करने वाले स्टूडेंट्स को खिलाई मिठाई।घर में कोई कमाने वाला नहीं अपने आर्थिक हालातों से लड़ाई को लेकर सूर्य प्रकाश का कहना है कि मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा ठीक नहीं है। मैं अपने माता-पिता की इकलौती संतान हूं। पिता 15 सालों से मानसिक बीमारी से पीड़ित थे तो घर में कमाने वाला कोई नहीं है। खेतीबाड़ी और पशुपालन के जरिए ही हमारे घर का खर्चा चलता है। कुछ सरकारी पेंशन मिल जाती है। ऐसी स्थिति में मेरा सपना पूरा करने में 50 विलेजर्स संस्थान ने पूरी मदद की। मेरी आर्थिक स्थिति इतनी ठीक नहीं थी कि मैं कोचिंग लेकर पढ़ाई कर सकूं। यहां पर मुझे निःशुल्क सुविधाएं मिली और पढ़ाई के लिए एक सकारात्मक वातावरण मिला। यहां के टीचर डॉ. भरत सारण मुझे हमेशा गाइड करते रहते थे। साइंस नहीं ले पाया तो मजबूरी में आर्ट्स ली सूर्य प्रकाश का कहना है कि दसवीं सरकारी स्कूल से 91 फीसदी नंबरों से पास की। लेकिन घर में कमाने वाला कोई नहीं होने के कारण साइंस नहीं ले पा रहा था। तो उसी स्कूल में 11वीं कक्षा में आर्ट्स ले ली। स्कूल में टीचरों ने बताया कि साइंस लेनी है तो बाड़मेर शहर में 50 विलेजर्स संस्थान है। वहां पर एडमिशन होने के बाद सब कुछ निःशुल्क मिलेगा। तब मैंने संस्थान के संचालक डॉ भरत सारण से संपर्क किया। 50 विलेजर्स संस्थान गरीब परिवारों के बच्चों को देता है नि:शुल्क रहने-पढ़ने की सुविधा।50 विलेजर्स संस्थान गरीब परिवारों के बच्चों को देता है नि:शुल्क रहने-पढ़ने की सुविधा।
50 विलेजर्स में मिला एडमिशन सूर्य प्रकाश का कहना है कि आर्थिक परिस्थितियां ठीक नहीं होने के कारण मैं साइंस लेना चाहता था। लेकिन सरकारी स्कूल में ही आर्ट्स लेनी पड़ी और क्लियर भी की। लेकिन उसी समय मैंने 50 विलेजर्स संस्थान में एडमिशन के लिए एग्जाम दिया। इसके बाद मेरे घर आकर आर्थिक वेरीफिकेशन किया गया। संस्थान में दाखिला मिल गया। वहां पर मुझे रहने से लेकर खाना-पीना सारा खर्चा नि:शुल्क मिला।
