

जयपुर . फलों का राजा आम… उनमें भी खास होता है अल्फांसो यानी हापुस आम। लेकिन शहर में अन्य किस्मों के सस्ते आम को हापुस बता कर बेचा जा रहा है। इस किस्म का आम हापुस जैसा दिखता है, लेकिन स्वाद अलग होता है। यह आम हापुस की तरह मीठे नहीं होते। इन्हें खरीदने के बाद ग्राहक ठगा सा महसूस करता है। हापुस की तरह दिखने वाले ये आम चैन्नई और कोलकाता से आ रहे है। जबकि हापुस आम की पैदावार महाराष्ट्र के रत्नागिरी और कोंकण में ही होती है। मुहाना मंडी के फ्रूट व्यापारी रमेश सैनी बताते हैं कि हापुस आम की कीमत थोक बाजार में 1000 से 1200 रुपए दर्जन या 350 से 400 रुपए प्रति किलो है।
ऐसा होता है हापुस आम
हापुस आम पर दाग नहीं लगता है। 10 दिनों तक ताजा रहता है। इसके बाद सिकुड़ जाता है, लेकिन सड़ता नहीं है। अल्फांसो की महक बहुत तेज होती है। हापुस आम को रंग और उसके छिलके से भी पहचाना जा सकता है। इसके टॉप पर रेडिश कलर के साथ बाहरी रंग चमकदार होता है जबकि भीतरी रंग केसरिया होता है। महाराष्ट्र के अल्फांसो आम में जीआई टैग का इस्तेमाल होता है। आढ़तियों का कहना है कि बाजार की डिमांड के मुकाबले 10 फीसदी ही रत्नागिरी के हापुस आम उपलब्ध होते हैं।

राजस्थान में देश के अलग अलग हिस्सों से आते है आम
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सफेदा या बादाम और पैरी आम आंध्र प्रदेश से आते हैं। दशहरी, चौसा, लंगड़ा, रत्नागिरी, केसरिया लालपत्ता गुजरात और कलमी और लाल बाग की आवक यूपी से होती है।