


जयपुर। प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भले ही कांग्रेस नेताओं की ओर से एकजुटता के दावे किए जाते हों लेकिन आए दिन पार्टी नेताओं के बीच बयानबाजी और गुटबाजी इन दावों की पोल खोलती नजर आती है। पार्टी में गुटबाजी और धड़ेबंदी कई बार सामने आ चुकी है, आरोप-प्रत्यारोप के दौर भी हो रहे हैं। इन सबके बीच सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस में पार्टी हाईकमान के आदेश भी बेअसर साबित हो रहे हैं, जिससे नेताओं की बयानबाजी पर कोई रोक नहीं लग पा रही है। हैरत की बात तो यह है कि बयानबाजी करने वाले नेता अब पार्टी हाईकमान और प्रदेश प्रभारी को भी निशाने पर ले रहे हैं।
इसे लेकर कांग्रेस के सियासी गलियारों में भी चर्चाएं खूब हैं। चर्चा इस बात की है कि जब नेता पार्टी हाईकमान के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं तो फिर आम कार्यकर्ताओं के बीच पार्टी हाईकमान के आदेश कैसे असर दिखाएंगे।
25 सितंबर की घटना के बाद से लगातार जारी है बयानबाजी
दरअसल बीते साल 25 सितंबर को रायशुमारी के लिए बुलाई गई पार्टी की आधिकारिक विधायक दल की बैठक के विरोध में समानांतर बैठक बुलाए जाने और गहलोत गुट के विधायकों की ओर से सामूहिक इस्तीफे दिए जाने के बाद से ही सचिन पायलट गुट और अशोक गहलोत गुट के नेताओं के बीच बयानबाजी चरम पर है, तब से लेकर आज तक दोनों खेमों से जुड़े नेता एक-दूसरे पर बयानबाजी करने से परहेज नहीं कर रहे हैं। हालांकि बयानबाजी रोकने के लिए कई बार पार्टी हाईकमान के आदेश भी होते हैं लेकिन आदेशों की भी लगातार अवहेलना हो रही है।
