

जयपुर – रविवार को राजधानी में 150 से ज्यादा प्राइवेट स्कूल संचालकों ने बैठक कर सरकार के खिलाफ रणनीति बनाई।राजस्थान के प्राइवेट स्कूल्स ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के बैनर तले प्रदेशभर के स्कूलों ने प्राइवेट एजुकेशन इंस्टीट्यूशन रेगुलेटरी अथॉरिटी बिल 2023 का विरोध शुरू कर दिया है। स्कूल संचालकों ने कहा कि सरकार गलत तरीके से स्कूलों पर दबाव बनाना चाहती है। जिसे हम किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे।सीडलिंग स्कूल के संदीप बख्शी ने बताया कि सरकार के इस बिल के माध्यम से प्राइवेट स्कूलों पर नियंत्रण के लिए विनियामक प्राधिकरण का गठन करने जा रही है। जिसका खर्चा उठाने के लिए सरकार प्राइवेट स्कूलों की 1% फीस वसूल करेगी। इसी तरह अगर सरकार द्वारा गठित कमेटी किसी स्कूल पर कोई सजा का प्रावधान करती है। तो उसकी सुनवाई का अधिकार भी सिविल कोर्ट को नहीं होगा।
वहीं RTE के तहत प्राइमरी कक्षाओं जैसे नर्सरी, क्रेजी और प्रेप में 25% सीटों पर स्टूडेंट्स को एडमिशन देने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया है। जिस्म फर्स्ट क्लास तक आने तक बच्चों का खर्चा भी सरकार वह नहीं करेगी। ऐसे में प्रदेशभर के प्राइवेट स्कूल संचालक इस बिल का पुरजोर विरोध करेंगे। चाहे इसके लिए हमें सड़क पर ही क्यों ना उतरना पड़े।
प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के मेंबर्स ने कहा कि अगर सरकार ने समय रहते इन प्रावधानों को नहीं हटाया। तो प्रदेश स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। इसके बाद भी जरूरत पड़ने पर हम सुप्रीम कोर्ट का भी सहारा लेंगे। लेकिन सरकार की तानाशाही नहीं सहेंगे। क्यों कि अगर सरकार की ओर से इस नीति को लागू किया गया। तो राजस्थान के 33 जिलों के लगभग 70 से 80 हजार स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच जाएंगे।
