लूणकरणसर में नमक की झील पर बरसों से प्रवासी पक्षियों का बसेरा रहता है जिनमे ( कुरजां) साइबेरियन सारस एवं अन्य पक्षियों व मंगोलिया से आने वाले प्रवासी पक्षी साल भर में सर्दी के मौसम में करीब छह माह तक लूणकरणसर में प्रवास पर रहते है इनका कोलाहल देखते ही बनता है रात्रि में ये पक्षी पूरी रात वी के आकार में उड़ते नजर आते है व इनका कलरव सुनाई देता है । हमारी “अथिति देवो भव” की संस्कृति में स्थानीय लोग भी इनके आगमन की प्रतीक्षा में रहते हैं ।
नमक की झील होने के कारण व यहाँ जमा पानी पर पूरे दिन इनको देखा जा सकता है । हाल ही में जम्मू कश्मीर से आये पत्रकारों का दल भी इन्हें देखने को उत्सुक था । गौरतलब है कि राजस्थानी लोक गीतों में कुरजां का महत्वपूर्ण स्थान हैं।
इनके विचरण स्थान पर कार्य करने की महती आवश्यकता को लेकर भारत सरकार के भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के मानद जीव जंतु कल्याण अधिकारी श्रेयांस बैद ने जगह पर नमक व नमी होने के कारण नारियल के व्रक्ष लगाए जाने सहित बताया कि नारियल को नमक व नमी की आवश्यकता रहती है जो यहाँ मौजूद है । वंही पर्यटकों के लिए झील के डवलपमेंट के लिए चार दीवारी, लिली पोंड , पिजन टावर, अत्यधिक जगह होने के कारण अन्य कृत्रिम झील का निर्माण कर बोटिंग जैसी सुविधाएं उप्लब्ध करवाई जाने की मांग केंद्रीय संस्क्रति राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल से की है बैद ने लिखे पत्र में बताया कि नेशनल हाइवे 62 पर होने के कारण आम जन भी इनको निहारता है व उत्सुकता से छाया चित्र भी लेते हैं
क्षेत्र में कुरजां व इनके साथ अन्य प्रवासी पक्षियों के लिए केंद्रीय संस्कति मंत्रालय द्वारा विशेष योजना बनाकर इनके संरक्षण व संवर्धन की मांग की है ।
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