बीकानेर। ऐसे में तो बीकानेर नगर निगम बन गया है लेकिन सुविधाओं के नाम आज भी गांव की पंचायत की तरह है। अगर देखा जाये तो शहर के व्यवस्तम बाजार में कही पर सुलभ शौचालय तक नहीं बना है जिससे शहर में आने वाले आस पास गांवों के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार शौचालय के लिए जगह देखी प्रशासन ने भी जगहों को देखा और सुलभ शौचालय की आवश्यकता बताई लेकिन आज तक कोई काम नहीं हुआ है। मजे की बात है शहर नगर निगम में महापौर के पद महिला बैठी है लेकिन उन्होंने महिलाओं के लिए ऐसा कोई काम नहीं किया है जिससे की उनकी प्रशंसा की जाये। एक महिला होने के नाते मुख्य बाजार में कम से कम एक शुलभ शौचालय तो बनाना चाहिए जिससे की बाजार में आने वाली महिलाओं को कोई परेशानी नहीं हो। महापौर ने पद को ग्रहण करने के बाद यह वादा किया था कि शहर के मुख्य बाजार में एक शुलभ शौचालय बनाया जायेगा जिससे की महिलाओं को कोई परेशानी नहीं होगी लेकिन आज तक वह वादा पूरी नहीं कर सकी है।
निगम को राजनीतिक अखाड़ा बना दिया
महापौर व आयुक्त के बीच आये दिन झगड़े ने बीकानेर की जनता का विकास रुक गया है जो महापौर चालू करती है उसको आयुक्त बंद करवा देते है जो आयुक्त काम चालू करता है उसको महापौर बंद करवा देती है चुहे और बिल्ली का खेल चल रहा है और इसमें नुकसान शहर की जनता को हो रहा है। आखिर में इस शहर को कौन संभालेंगे।
आखिर इस शहर को कौन संभालेंगा, दे अपनी राय
