

जयपुर। सातवें वेतनमान को लेकर वित्त विभाग के एक परिपत्र ने सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों में हडकंप मचा दिया है। यह परिपत्र वेतन वसूली से जुड़ा है। वित्त विभाग ने कहा है कि जिन घाटे वाली सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों एक अप्रेल 2022 से पहले सातवें वेतनमान में फिक्सेशन करवा लिया उनके वेतन से यह वसूली की जाएगी। दरअसल प्रदेश में 2017 में सातवां वेतनमान लागू कर दिया गया था। लेकिन राज्य सरकार ने सिर्फ बिजली कंपनियों को छोडक़र बाकी किसी भी घाटे वाली सरकारी कंपनियों में नया वेतनमान लागू नहीं किया। इसके बाद सीएम अशोक गहलोत ने बजट में एक अप्रेल 2022 से सभी सरकारी कंपनियों में सातवां वेतनमान लागू करने की घोषणा कर दी। स्पिनफैड में सबसे पहले पकड़ में आया मामलावित्त विभाग की जानकारी में आया कि इन कंपनियों के जो कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर हैं उन्होंने प्रतिनियुक्ति वाली जगह पर अप्रेल 2022 सेपहले ही सातवें वेतनमान में फिक्सेशन करवा लिया। सबसे पहले स्पिन फेड के कर्मचारियों के ऐसे मामले वित्त विभाग की जानकारी में आए। घाटे के चलते सरकार ने इसे बंद करने का निर्णय लिया और इसके कर्मचारियों को अन्य विभागों में प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया।इसके अलावा कुछ सरकारी कंपनियों ने अपने स्तर पर ही सातवां वेतनमान लागू कर दिया। तिमल संघ, रोडवेज, आरटीडीसी, स्पिन फैडऔर ज्यादातर दुग्ध उत्पादन समितियों सहित घाटे वाली कंपनियों में यह लागू नहीं किया गया था। अब वित्त विभाग ने सभी सरकारी कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि यदि उनके यहां 1 अप्रेल 2022 से पहले सातवां वेतनमान लागू नहीं हुआ और उनके कर्मचारियों ने इसका लाभ इस अवधि से पहले ले लिया है तो उनके वेतन से तुरंत यह वसूली शुरू कर दी जाए।सातवें वेतन मान में चपरासी से लेकर अफसर तक का वेतन रिवाइज किया गया था। इसमें ग्रेड के हिसाब से वेतन में इजाफा दिया गया था जिसमें औसतन 5 हजार से 30 हजार रुपए तक का इजाफा हुआ था। अब यदि किसी कर्मचारी ने एक साल तक भी बिना अनुमति के सातवां वेतनमान ले लिया तो उसके खाते से मोटी वसूली होगी।
