

New Delhi: अंतरराष्ट्रीय मार्केट में उथल-पुथल का असर कच्चे तेल पर भी पड़ रहा है। पिछले हफ्ते से ही कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रही है। वर्तमान में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल चल रही है। हालांकि, इंडियन फ्यूल डिस्ट्रीब्यूटर कंपनियां पेट्रोल और रसोई गैस में लागत की भरपाई करने की स्थिति में पहुंच गई हैं। लेकिन डीजल की बिक्री पर कंपनियों को अब भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। देश की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अरुण कुमार सिंह ने इस बारे में जानकारी दी।
एक दिन में 5-7 डॉलर घटे-बढ़े दाम
उन्होंने कहा कि पिछले 4-5 महीनों में क्रूड के अंतरराष्ट्रीय दामों में लगातार होने वाली उठापटक के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं किए। उन्होंने कहा, ‘एक दिन में पांच-सात डॉलर प्रति बैरल तक दाम घट-बढ़ रहे थे। इस तरह के उतार-चढ़ाव की स्थिति में हम उपभोक्ताओं पर बोझ नहीं डाल सकते थे। कोई भी वितरक इस तरह के उतार-चढ़ाव का बोझ नहीं डाल सकता है।’

डीजल पर प्रति लीटर 20-25 रुपये का नुकसान
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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम ज्यादा होने पर एक समय पेट्रोलियम कंपनियों को डीजल पर प्रति लीटर 20-25 रुपये और पेट्रोल पर 14-18 रुपये तक का नुकसान उठाना पड़ रहा था। लेकिन कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दामों में गिरावट आने के बाद यह नुकसान भी अब काफी कम हो गया है। सिंह ने कहा, ‘अगले महीने से एलपीजी पर किसी भी तरह का घाटा नहीं होगा। इसी तरह हमें पेट्रोल पर भी कोई नुकसान नहीं हो रहा है। लेकिन डीजल पर अब भी नुकसान की स्थिति बनी हुई है।’