


भ्रष्ट अधिकारी बन गए अफसर
एक अन्य पीड़ित ने कहा कि उसकी शिकायत के बाद एक आरएएस अधिकारी को हटाने के बजाय उसे ही बीकानेर का एडीएम बना दिया गया। कोलोनाइजेशन, नगर विकास न्यास और नगर निगम को भ्रष्टाचार का अड्डा बताते हुए कहा कि कोलोनाइजेशन और नगर विकास न्यास में करोड़ों रुपए की जमीन के फर्जी पट्टे जारी हो गए। लेकिन, एसीबी ने कुछ नहीं किया।
अभियोजन स्वीकृति बढ़ी
संवाद के दौरान महानिदेशक सोनी ने बताया कि सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाने का बड़ा कारण अभियोजन स्वीकृति नहीं होना है। पहले सालभर में तीन सौ अभियोजन स्वीकृति के प्रस्तावों पर हां या ना होती थी लेकिन पिछले वर्ष 600 से ज्यादा केस पर निर्णय हुए। इसमें भी अस्सी प्रतिशत केस में अभियोजन स्वीकृति दी गई।
ट्रैप के बाद भी सहयोग
सोनी ने बताया कि आमतौर पर ट्रैप की कार्रवाई में पीड़ित पक्ष के रुपए फंस जाते हैं। अदालत से निर्णय होने के बाद ही उसे रुपए वापस दिए जाते हैं। निर्णय होने में सालों लग जाते हैं। ऐसे में गरीब आदमी दस हजार रुपए देकर परेशान नहीं होना चाहता। उसके लिए ये बड़ी राशि है। अब एसीबी ने गरीब आदमी को तुरंत रुपए लौटा रहा है। कानूनी प्रक्रिया के बाद रुपए कोर्ट से मिलने पर वो सरकार को वापस दे देता है।

आला अधिकारी रहे मौजूद
संवाद कार्यक्रम में बीकानेर में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक देवेंद्र बिश्नोई, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रजनीश पूनिया सहित कई आला अधिकारी मौजूद थे। नगर विकास न्यास के पूर्व अध्यक्ष महावीर रांका, वरिष्ठ अधिवक्ता ओ.पी. हर्ष, एमजीएसयू के उप कुल सचिव बिट्ठल बिस्सा आदि ने भी सवाल किए।