


जयपुर। समाजसेवा के नाम पर खोली गई उन संस्थाओं और ट्रस्टों पर सरकार लगाम कसने जा रही है, जो व्यावसायिक उपक्रमों की तरह भारी लेन.देन करती हैं, लेकिन कोई टैक्स जमा नहीं करती। अब देश में सभी सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं, ट्रस्टों, विश्वविद्यालयों, चिकित्सालयों और चिकित्सा संस्थानों को भी दस साल तक आय-व्यय का ब्यौरा रखना होगा। अभी तक केवल व्यावसायिक संस्थाओं को 6 साल तक लेन-देन का रिकॉर्ड रखना होता था। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड बोर्ड ने हाल ही में संशोधित अधिसूचना जारी की है। यदि इन संस्थानों के खिलाफ कोई न्यायिक प्रक्रिया विचाराधीन या जांच जारी है तो उसे अपना रिकॉर्ड 10 साल से ज्यादा समय तक सुरक्षित रखना होगा। सीबीडीटी ने इसके लिए 10 बिंदुओं और उनके उपबिंदुओं के तहत स्पष्ट कर दिया है कि इसमें कौन-कौन से दस्तावेज और रिकॉर्ड संस्थाओं को अपने पास रखना है।
प्रमुख दस्तावेज जो रखने होंगे
संस्थानों को अब दस साल तक अपनी कैश बुक, खाता-बही, जनरल, ओरिजनल बिल और बिल की कॉपी, रिसीव्ड कॉपी, लेन-देन को स्पष्ट करने वाले अन्य दस्तावेज, रिसर्च, बिल्डिंग, इंफ्रास्ट्रक्क्चर, मशीनरी, उपकरण या अन्य संसाधनों के लिए डोनेशन और उसके खर्च से संबंधित पूरे दस्तावेज, डोनर के पेन नम्बर और आधार नम्बर रखने होंगे।
