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बीकानेर : आयुक्ताें से विवाद में निकल गए मेयर के 3 साल, ठप पड़े हैं जनता के काम, सफाई पर फाेकस नहीं,
नगर निगम आयुक्त काे हटाने के लिए चार से नाै अगस्त के बीच कलेक्ट्रेट पर मेयर ने धरना दिया। सरकार की छवि बचाने के लिए ब्यूराेक्रेसी ने बीच का रास्ता निकालकर निगम आयुक्त काे छुट्टी पर भेजा लेकिन सातवें दिन ही आयुक्त ने वापस ज्वाइन कर लिया। ऐसे में अब मेयर के धरने का विश्लेषण हाेने लगा है।
दरअसल मेयर-आयुक्त के इस विवाद को देखे तो पता चलता है कि ना तो मेयर जीतीं और ना ही बिरदा हारे। क्योंकि मेयर के शिक्षा मंत्री के खिलाफ बोल ही बिरदा के बचाव का सबसे बड़ा कारण बने। एक कड़वा सच यह भी है कि मेयर के तीन साल आयुक्तों से विवाद में ही निकल गए। शहर की समस्याएं जस की तस हैं। जनता परेशान है।
मेयर-आयुक्त विवाद; ये भी जानना जरूरी
जब छुट्टी पर गए तब डीसी ने निभाई भूमिका: मेयर के धरने का मामला सरकार तक पहुंचा तो संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन ने बीच का रास्ता निकाला। आयुक्त काे सीएल पर भेजा। मेयर की जिद रह गई। अतिरिक्त संभागीय काे निगम आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार साैंपा था लेकिन उन्हाेंने भी ज्वाइन नहीं किया।
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बिरदा के लिए एक हो गए कांग्रेसी पार्षद: मेयर ने शिक्षा मंत्री पर आरोप लगाए तो कांग्रेसी पार्षद बिरदा के पक्ष में एक हो गए। सीएम के प्रिंसिपल सेक्रेट्री से लेकर यूडीएच अधिकारियों के पास गए। पीसीसी चीफ ने भी सीएमओ फाेन किया। आखिरकार बिरदा काे कांग्रेस पार्षद वापस लाने में कामयाब रहे।
जनता की किसी ने सुध नहीं ली
मेयर सुशीला कंवर के कार्यकाल को तीन साल पूरे हो गए। इस साल भी 40-40 लाख के काम हाेने थे। एक भी वार्ड में अब तक काम मंजूर नहीं हुए। 80 वार्डाें के विकास के काम ठप हाे गए हैं। 26 काे साधारण सभा है ये मुद्दे प्रमुखता से उठेंगे।