Khabar21
  • होम
  • बीकानेर
  • राजस्थान
  • देश-दुनिया
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • धार्मिक
  • करियर
  • खेल
Reading: सभी बलों का आधार आत्मबल- 1008  आचार्य श्री विजयराज जी म.सा.
Share
Aa
Aa
Khabar21
  • होम
  • बीकानेर
  • राजस्थान
  • देश-दुनिया
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • धार्मिक
  • करियर
  • खेल
Search
  • होम
  • बीकानेर
  • राजस्थान
  • देश-दुनिया
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • धार्मिक
  • करियर
  • खेल
Follow US
Khabar21 > Blog > बीकानेर > सभी बलों का आधार आत्मबल- 1008  आचार्य श्री विजयराज जी म.सा.
बीकानेर

सभी बलों का आधार आत्मबल- 1008  आचार्य श्री विजयराज जी म.सा.

admin
admin Published August 12, 2022
Last updated: 2022/08/12 at 4:08 PM
Share
SHARE
Share News

गति चरण से, प्रगति आचरण से होती है- आचार्य श्री विजयराज जी म.सा.

बीकानेर। बातें करना बहुत आसान है, लेकिन किसी काम को संकल्प लेकर क्रियान्वित करना मुश्किल कार्य है और तपस्या करना बहुत ही कठिन कार्य है। तपस्या बगैर संकल्प, समर्पण के नहीं होती है। व्य1ित संकल्प करता है, तब ही तप कर पाता है। इसलिए संकल्प कच्चा नहीं पक्का होना चाहिए। श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के 1008 आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने तप की शक्ति का व्याख्यान देते हुए यह उद्गार शुक्रवार को सेठ धनराज ढ़ढ्ढा की कोटड़ी में चातुर्मास में चल रहे नित्य प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। महाराज साहब ने कहा कि गति चरण से, प्रगति आचरण से होती है, इतना ही नहीं संकल्प के साथ समर्पण का भाव होता है, वही मासक्षमण की तपस्या कर पाता है। मासक्षमण की तपस्या जीवन में बार-बार नहीं होती है। इसके लिए आत्मबल की आवश्यकता होती है। हम सभी को आत्मबल जगाना चाहिए। आत्मबल से सब संभव है। महाराज साहब ने कहा कि गुरुदेव अक्सर अपने प्रवचन में फरमाया करते थे कि ‘सब बल का आधार आत्मबल है’। जिसका आत्मबल जागृत हो गया, उसे संकल्प की शक्ति प्राप्त हो जाती है। जिसे संकल्प की शक्ति मिल गई उसकी आत्मशक्ति जागृत हो जाती है और जिसकी आत्मशक्ति जागृत हो जाती है वही तप कर सकता है।
आचार्य श्री ने आत्मशक्ति की परकाष्ठा पर एक प्रसंग सुनाते हुए बताया कि यह घटना भारत के मुंबई महानगर के माटुंगा शहर स्थित सर मुखानंद हॉल की है। जहां जर्मनी के प्रख्यात मोटिवेशनल स्पीकर बाल गोल्डीन का एक कार्यक्रम रखा गया। जहां गोल्डीन के कार्यक्रम का समय एक बजे का था, गोल्डीन कार्यक्रम में एक बजे नहीं पहुंचे, इस प्रकार जनता का धैर्य चूकने लगा, इस प्रकार वह मंच पर  पूरे सात मिनट देर से पहुंचे। दर्शकों ने उलाहन दी कि उन्होंने उनके सात मिनट खराब कर दिए हैं। इस पर गोल्डीन ने उनको धैर्य पूर्वक सूना और फिर एक चुटकी बजाई और सभी से कहा कि मैं अपने समय पर हूं, और आप मुझे लेट बता रहे हैं, कृपया सभी अपनी घड़ी देखें, अब हॉल में सन्नाटा था। सब हैरान थे, अभी समय एक बजकर सात मिनट हुआ था और अब सब घड़ी में एक बजा है। गोल्डीन ने सबको आश्चर्य में डाल दिया। इसके बाद उन्होंने पूछा किसी को गाना, वाद्य बजाना, नाचना आता है। सभी ने ना में सर हिलाए, इसके बाद गोल्डीन ने फिर चुटकी बजाई और कुछ लोग मंच पर आकर नाचने, गाने और झूमने लगे। गोल्डीन ने तीसरी बार पूछा आप में से किसी को खाज है क्या..?, सभी ने ना में उत्तर दिया। गोल्डीन ने फिर चुटकी बजाई और सभी लोग अपने स्थान पर बैठे-बैठे अपने शरीर को जोर-जोर से खुजाने लगे। बाद में गोल्डीन ने दूसरी चुटकी बजाई और सब ऐसे शांत हुए जैसे कुछ हुआ ही ना हो, इस प्रकार उसने संकल्प के द्वारा यह साबित कर दिया कि आत्मा की शक्ति अनंत है। यह संकल्प की शक्ति है कि आदमी इससे वह सब कुछ कर पाता है जो वह चाहता है। बगैर संकल्प के समर्पण के तपश्रया पूर्ण नहीं होती, संकल्प के कच्चे होते हैं, उनसे तप नहीं होता। महाराज साहब ने भजन ‘तप करो भाइयों और बहनों, तप भव-भव में सुखदायी है, महा कठिन तपस्या करके ही, प्रभु वीर ने मुक्ति पाई है’। सुनाते हुए कहा कि भगवान महावीर ने तप करके ही मुक्ति पाई थी, जैन संतो ने भी अनेकानेक दुर्लभ तप किए। आचार्य श्री ने कहा कि तप करने से आत्मा शुद्ध होती है, जैसे सोना आग में जलाने से जलता नहीं गल जाता है और उसके साथ जो अशुद्धी होती है वह जलकर निकल जाती है, ठीक इसी प्रकार तप से आत्मा का मेल समाप्त हो जाता है।
आचार्यश्री ने कहा कि चार संज्ञा है। पहली संज्ञा आहार संज्ञा है, इसके बाद भय, मैथुन और परिग्रह है। महाराज साहब ने कहा कि भूख का दुख बड़ा है, सुबह पूरा करते हैं शाम को फिर खड़ा है। हमें संकल्प, इच्छाश1ित और आत्मबल जगाना चाहिए।  शरीर नाशवान है, हमें इसका राग नहीं करना चाहिए। तप ही मन में विद्यमान राग को दूर करने का एक विकल्प है। काया का राग छूटे बिना तप नहीं होता, कंचन का राग छूटे बिना दान नहीं होता तथा कामिनी का राग ना छूटे तो शील नहीं होता और कुटुंब का राग ना छूटे तो वैराग्य नहीं मिलता।
मासक्षमण तपस्या पूर्ण की
श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के आचार्य श्री विजयराज जी म.सा.  की नवदीक्षिता महासती  श्री चरित्रप्रिया जी म.सा. एवं बीकानेर के श्रावक मोहनलाल झाबक ने आज 31 दिन तक निराहार रहकर यह तपस्या पूर्ण की है। आचार्य श्री ने तपस्या करने पर कहा कि तप करने के लिए संयम और संकल्प की आवश्यकता होती है। इसमें खरा उतरने पर महाराज साहब ने चरित्रप्रिया जी और मोहनलाल झाबक को साधुवाद दिया।


Share News

admin August 12, 2022
Share this Article
Facebook TwitterEmail Print
Leave a comment

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Latest Post

बीकानेर में बीडीए की कार्रवाई, अवैध कॉलोनियों पर चला बुलडोज़र
बीकानेर
बीकानेर दौरे पर आएंगे कर्नल राठौड़, पूर्व सैनिकों से करेंगे संवाद
बीकानेर
शराब पीकर सोए युवक की संदिग्ध हालत में मौत, पुलिस जांच शुरू
crime
हेट स्पीच मामले में अब न्यायाधीश पर महाभियोग की तैयारी?
देश-दुनिया
QRSAM से लैस होगी भारतीय सेना, ऑपरेशन सिंदूर के बाद ताकत बढ़ाने की तैयारी
देश-दुनिया
Daily Horoscope: Know Today's Predictions
दैनिक राशिफल: जानें आज का भविष्यफल
राशिफल
राहुल गांधी के आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने साझा किया चुनाव डेटा
बीकानेर
RULET 2025 की उत्तर कुंजी जारी, 10 जून तक दर्ज करें आपत्ति
बीकानेर

You Might Also Like

बीकानेर

बीकानेर में बीडीए की कार्रवाई, अवैध कॉलोनियों पर चला बुलडोज़र

Published June 10, 2025
बीकानेर

बीकानेर दौरे पर आएंगे कर्नल राठौड़, पूर्व सैनिकों से करेंगे संवाद

Published June 10, 2025
बीकानेर

राहुल गांधी के आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने साझा किया चुनाव डेटा

Published June 9, 2025
बीकानेर

RULET 2025 की उत्तर कुंजी जारी, 10 जून तक दर्ज करें आपत्ति

Published June 9, 2025

© Copyright 2022, All Rights Reserved Khabar21 | Designed by Uddan Promotions Pvt. Ltd.

Join WhatsApp Group

Removed from reading list

Undo
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?